स्वास्थ्य एडवोकेसी के क्षेत्र में काम कर रहे पत्रकार आशुतोष कुमार सिंह को तिलका मांझी राष्ट्रीय सम्मान दिए जाने की घोषणा हुई है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है। यह सम्मान अंग मदद फाउंडेशन द्वारा बिहार के भागलपुर में आयोजित कार्यक्रम में आगामी 22 सितंबर को दिया
जायेगा। श्री आशुतोष को मिले इस सम्मान पर देश-विदेश के बुद्धिजीवियों ने उन्हें शुभकामना संदेश प्रेषित किया है। उनके गृह जिला सीवान के लोगों ने भी उन्हें फोन पर बधाई दी है। इस सम्मान को उन्होंने स्वस्थ भारत अभियान के साथियों को समर्पित किया है।
सस्ती दवाइयों के लिए 8 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं आशुतोष
2012 के जून महीने में ऐसी घटना घटी जिसने आशुतोष को एक पत्रकार से सामाजिक कार्यकर्ता बना दिया। 22 जून, 2012 को मुंबई के एक निजी अस्पताल में श्री आशुतोष के एक मित्र की पत्नी भर्ती थीं। दवा लाने की जिम्मेदारी आशुतोष को दी गई। वे दवा की पर्ची लेकर अस्पताल प्रांगण में स्थित दवा दुकान पर गए। दवा दुकानदार ने 340 रुपये की दवा दी। इन दवाइयों में आइवी सेट था जिसकी कीमत 117 रुपये अंकित था। जबकि आइबी सेट की वास्तविक कीमत 10 रुपये से ज्यादा नहीं होती है। एक पत्रकार के नाते आशुतोष को इस बात की जानकारी थी कि आइबी सेट एवं अन्य दवाइयों पर दुकानदार बहुत ज्यादा कीमत वसूल रहा है। श्री आशुतोष ने दवा दुकानदार से कीमत कम करने की गुजारिश की। लेकिन दवा दुकानदार कीमत कम करने की बजाय श्री आशुतोष को खरी-खोटी सुनाने लगा।
इस बात से श्री आशुतोष बहुत आहत हुए। उनके मन में महंगी दवाइयों के खिलाफ एक आंदोलन ने जन्म लिया। अपने मन की बात को उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से देश की जनता को बताने का काम किया। देखते-देखते आशुतोष के पोस्ट को हजारों की संख्या में लोगों ने साझा करना शुरू किया। देश भर से आशुतोष के पास महंगी दवाइयों एवं महंगे इलाज से सताए लोगों के फोन आने लगे। सोशल मीडिया पर महंगी दवाइयों के खिलाफ लोगों को जुड़ते देखकर आशुतोष कुमार सिंह ने मुंबई के अपने कुछ साथियों से राय-विमर्श करके सबसे पहले एक कैंपेन शुरू किया।
इस कैंपेन का नाम रखा गया कंट्रोल मेडिसिन मैक्सिमम रिटेल प्राइस यानी कंट्रोल एमएमआरपी। महंगी दवाइयों से संबंधित कारकों को आशुतोष कुमार सिंह ने ढूढ़ना शुरू किया। इस पर राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में एवं न्यूज पोर्टलों पर लेख लिखना शुरू किया। इसका असर यह हुआ कि महंगी दवाइयों से आम लोगों की बढ़ रही मुसीबत के बारे में भारत सरकार को सही फीडबैक मिलना शुरू हुआ। भारत सरकार ने नेशनल फार्मास्यूटिकल्स प्राइसिंग ऑथोरिटी को और मजबूत और पारदर्शी बनाने का फैसला किया। राष्ट्रीय हेल्पलाइन संख्या जारी किया गया। दवाइयों की कीमतों पर सरकार ने कैप लगाएं। निजी कंपनियों ने भी कैंसर की दवाइयों की कीमतों को कम करना शुरू किया।
इस कैंपेन की सफलता के बाद श्री आशुतोष ने 'जेनरिक लाइए पैसा बचाइए' कैंपेन की शुरुआत की। इसके तहत वे देश की जनता को जेनरिक दवाइयों के बारे में बताना शुरू किए। उन्होंने लोगों को समझाया कि भारत जैसे विकासशील देश के लिए जेनरिक दवाइयां वरदान हैं। इससे जुड़े भ्रम को दूर करने के लिए देश भर में यात्रा कर लोगों को जागरूक करने का काम किया। इसका नतीजा यह हुआ कि सरकार जनऔषधि केन्द्रों की संख्या बढ़ाने में जुट गई। 2012 में जहां महज 70-80 जनऔषधि केन्द्र थे अब भारतीय प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के अंतर्गत पूरे देश में 5400 से ज्यादा केन्द्र खोले जा चुके हैं। दूसरी तरफ निजी लोग भी जेनरिक दवाइयों की दुकान खोल रहे हैं। जेनरिक दवा के विषय को लेकर श्री आशुतोष ने 2018-19 में 21000 किमी की स्वस्थ भारत यात्रा-2 कर रहे हैं।
इस बीच श्री आशुतोष मुंबई से दिल्ली आ गए और यहां पर स्वस्थ भारत संस्था की स्थापना 28 अप्रैल 2015 को की। इसी संस्था के बैनर तले वे स्वास्थ्य जागरूकता के तमाम कैंपेनों को आगे बढ़ा रहे हैं। जिसमें प्रमुख निम्न हैं।
•तुलसी लगाइए रोग भगाइए- तुलसी के पौधे के फायदे के बारे में देश भर के लोगों को जागरूक करने के लिए यह कैंपेन शुरू हुआ है।
•नो योर मेडिसिन कैंपेन- 18 दिसंबर 2015 से यह कैंपेन चल रहा है। इस कैंपेन के माध्यम से लोगों को अपनी दवा के बारे में जानने के लिए प्रेरित किया जाता है।
•स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज- इस कैंपेन के तहत आशुतोष कुमार सिंह ने 30 जनवरी 2017-29 अप्रैल 2017 तक स्वस्थ भारत यात्रा-1 के अंतर्गत भारत के 30 राज्यों में जाकर बालिका स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक किया।
•स्वस्थ भारत के तीन आयाम-जनऔषधि, पोषण और आयुष्मान- इस कैंपेन के तहत एक बार फिर से स्वस्थ भारत यात्रा-2 पर आशुतोष कुमार सिंह निकले हैं और लोगों को जेनरिक मेडिसिन, पोषण एवं आयुष्मान भारत के बारे में जागरूक कर रहे हैं।
एक पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता के नाते आशुतोष कुमार सिंह का ध्यान भारत को स्वस्थ बनाने में लगा हुआ है। मूल रूप से सीवान जिला के रजनपुरा गांव के रहने वाले आशुतोष के पिता स्व। श्री वैद्यनाथ सिंह पारा मिलिट्री में थे और माता जासमती देवी जी गृहणी हैं। स्थानीय चैनपुर हाइस्कूल से मैट्रिक, बी।एस।एन।वी इंटर कॉलेज, लखनऊ से इंटर पास करने वाले श्री आशुतोष ने डीयू से स्नातक किया है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिप्लोमा करने वाले श्री आशुतोष ने अपनी मातृभाषा भोजपुरी में एम।ए। किया है। समुद्र के नीचे साइकिल चलाने के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज है।
स्वास्थ्य जागरूकता के लिए 50 हजार किमी की यात्रा कर चुके हैं
आशुतोष कुमार सिंह ने स्वास्थ्य जागरूकता का अलख जगाने के लिए संपूर्ण भारत में तकरीबन 50 हजार किमी की यात्रा कर चुके हैं। बार स्वस्थ भारत यात्रा-1-2 के माध्यम से तकरीबन 5 लाख छात्र-छात्राओं से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित करने का मौका मिला है। अप्रत्यक्ष रूप से अपने लेखों के माध्यम से करोड़ों लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में श्री आशुतोष सफल रहे हैं। उनके द्वारा शुरू किए गए कंट्रोल एमएमआरपी कैंपेन के असर यह हुआ है कि देश भर में दवाइयों की कीमते कम होने लगी हैं। दूसरी तरफ आम लोग एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग से बचने की कोशिश करने लगे हैं। मरीज एवं चिकित्सकों के बीच संवाद की स्थिति बेहतर हुई है। जेनरिक दवाइयों का प्रसार बढ़ा है। इससे लोगों के महंगी दवाइयों पर होने वाले खर्च कम हुए हैं। महंगी दवाइयों के कारण बढ़ रही गरीबी पर अंकुश लगा है। वर्तमान समय में स्वास्थ्य का विषय भारत सरकार के प्रमुख एजेंडा में शामिल हुआ है। स्वास्थ्य विषय को पहली बार विगत 5 वर्षों में इतना सरकारी संरक्षण मिला है। आम लोग अब चिकित्सकों से अपने रोग एवं खाने वाली दवाइयों के बारे में जानने की कोशिश करने लगे हैं। एक तरह से कहा जाए तो स्वास्थ्य जागरूकता की दिशा में आम लोगों की सोच बदली है। दरअसल आशुतोष कुमार सिंह स्वास्थ्य चिंतन धारा को तीव्र करने में ही जुटे हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव लाने का सार्थक प्रयास
आशुतोष कुमार सिंह ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अपनी एडवोकेसी के माध्यम से बहुत बदलाव किया है। सबसे पहला बदलाव तो यह हुआ है कि महंगी दवाइयों को लेकर सरकार तक सही फीडबैक पहुंचा और सरकार ने इस दिशा में न्यायोचित कार्य किए। दूसरा बदलाव यह हुआ है कि जो कंपनियां मनमानी कीमतों पर दवाइयां बेच रही थी, उस पर अंकुश लगा है। तीसरा बदलाव यह हुआ है कि आम लोग अस्पतालों से मेडिकल हिस्ट्री मांगने लगे हैं। चिकित्सकों से कैपिटल लेटर में पर्चा लिखने के लिए कहने लगे हैं। साथ ही दवा की जरूरत पर प्रश्न पूछने लगे हैं। निजी कंपनियां आम लोगों को सस्ती दवा पहुंचाने के लिए आगे आईं हैं। छूट के साथ होम डिलेवरी सुविधा भी उपलब्ध होने लगा है। यह सबकुछ इसलिए बदला है क्योंकि आम लोगों की सोच बदली है। लोगों को स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया गया है। और इस जागरूकता में आशुतोष कुमार सिंह की भूमिका अग्रणी है। उन्होंने स्वास्थ्य जागरूकता के लिए कई बार अपनी पत्रकारिता की नौकरी से इस्तीफा दिया है। स्वस्थ भारत यात्रा करने के लिए उन्होंने दैनिक जागरण के संपादकीय टीम से इस्तीफा दे दिया। यह उनके स्वास्थ्य के प्रति समर्पण को दिखाता है। स्वस्थ भारत अभियान के अंतर्गत आशुतोष कुमार सिंह ने जितने भी कैंपेन चलाए उसका सकारात्मक असर हुआ है। या यूं कहें कि महात्मा गांधी के अंतिम जन तक उनकी बात पहुंची है। और इस कारण स्वास्थ्य क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगना शुरू हुआ है।
समाज में सकारात्मक बदलाव दिख रहा है
महंगी दवाइयों के कारण भारत में गरीबी बढ़ी है। ऐसे में महंगी दवाइयों के नाम पर मची लूट को नियंत्रित कराने में स्वास्थ्य पत्रकार आशुतोष कुमार सिंह ने अहम भूमिका अदा की है। एक तरफ उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से सरकार को महंगी दवाइयों पर कैप करने के लिए प्रेरित किया तो वहीं दूसरी तरफ देश के चिकित्सकों से भी अपील की कि वे लोगों की भलाई में आगे आएं। देश भर में ऐसे कई चिकित्सक आगे आएं जो आम लोगों को कम फी लेकर इलाज कर रहे हैं। स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज कैंपेन के माध्यम से उन्होंने पूरे देश 350 से ज्यादा बालिकाओं को इस कैंपेन का गुडविल एंबेसडर बनाया। इससे बालिकाओं के प्रति समाज में एक सकारात्मक संदेश गया। इतना ही नहीं उन्होंने पूरे देश में सैकड़ों जनऔषधि मित्र बनाएं ताकि जेनरिक दवाइयों के बारे में लोगों के सही जानकारी दी जा सके। इस तरह उन्होंने स्वास्थ्य को एक जनआंदोलन बनाने की कोशिश की। अब तो सरकार ने खुद स्वास्थ्य को जनआंदोलन बनाने का वीणा उठाया है। भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष पूरे होने पर जहां स्वस्थ भारत यात्रा-1 का आयोजन किए वहीं महात्मा गांधी के 150 वीं जयंती वर्ष में उनको समर्पित दूसरा स्वस्थ भारत यात्रा-2, 2 अक्टूबर, 2019 को संपन्न होने वाला है। इस तरह पूरब से लेकर पश्चिम तक और दक्षिण से लेकर उत्तर तक देश के सभी दिशाओं में समाज को स्वास्थ्य से जोड़ने का काम आशुतोष कुमार सिंह कर रहे हैं।
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